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30 May 2020 · 1 min read

खुद पर एतबार रखिए

चेहरे बदल घूमते हैं यहां लोग देखिए
अपना मुखौटा भी आप साथ रखिए…

दुश्मनों की तो जाहिर होती है जलन
अपने दोस्तों पर एक निगाह रखिए…

बढ़ा चढ़ा कर कहने का है यहां प्रचलन
आप भी तो अपने मुंह में जुबान रखिए…

गहरी होती है अपनों के जख्मों की चुभन
ज़रा संभल संभल कर अपने पांव रखिए….

अपने ही दम पर तय होती डगर कठिन
कुछ खुद पर भी तो एतबार रखिए…

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