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29 May 2020 · 1 min read

" कभी - कभी "

कभी – कभी ये दुनिया इतनी बड़ी लगती है ,
जब एक ही शहर में रह कर उस सख्स से नहीं मिल पाते हैं जिनसे मिलना चाहते हैं ।

कभी – कभी ये दुनिया इतनी छोटी लगती है ,
जिन्हें जानते भी नहीं उसने बार – बार टकराते हैं ।

कभी – कभी रुक जाने को मन करता है ,
जब हम चाह कर भी कुछ नहीं कर पाते हैं ।

कभी – कभी भटकते रहने का दिल करता है ,
जब मंजिल के रास्ते ही मिल नहीं पाते हैं ।

कभी – कभी रोए जाने का मन करता है ,
जब आंसुओं को रोक नहीं पाते है ।

कभी – कभी खामोश हो जाने को मन करता है ,
जब अपने ही हर बात को गलत समझते लगते है ।

? धन्यवाद ?
✍️ ज्योति ✍️

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