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17 May 2020 · 1 min read

साँवरौ कन्हैया

साँवरौ कन्हैया, बाँकौ वंशी कौ बजैया,
सब जग मोह लियौ छेड़ी ऐसी तान है।
जमुना बहनौं भूलि गयी गैया चरनौं भूलि गयी,
मस्त भयौ वत्स, भूलौ पय पान है।
दौड़ि दौड़ि ग्वालिन आईं, तये पै रोटी छोड़ि आईं,
सजन बुलाते रहे, भूलीं कुलकान है।
कौन रोकै कौन कूँ सब छोड़ि भाजे भौन कूँ,
ब्रजवासिन कौ देख ठट ,श्याम मुख आई मुस्कान है।
‘दादू ‘ तुम हू दौड़ लेउ चरण उनके गहि लेउ,
तुम हू कू तार देंगे कृष्ण करुणा की खान हैं।

जयन्ती प्रसाद शर्मा

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