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15 May 2020 · 1 min read

मन का महाभारत

युद्ध चल रहा है, उर के रण समर में
कुरुक्षेत्र बन गया है, मेरे ह्रदय स्थल में
यह युद्ध झूंठ सांच का, पुण्य और पाप का
अपने और पराए का, स्वार्थ और परमार्थ का
यह युद्ध दीन हीन का, सशक्त और वीर का
देकर दलीलें अपनी, धाक जमा रहे मन में
चला रहे अस्त्र सभी, मेरे इस मृदु मन में
मन है ये बहुत कोमल, समझना भी बहुत मुश्किल
सत्य न हो ओझल, सत्य ही बने सबल
सत्य की विजय हो, मन के रण समर में
कुरुक्षेत्र बन गया है, मेरे हृदय स्थल में

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