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6 Apr 2020 · 1 min read

मेहनतकश

मेहनतकश

वो मेहनतकश
करता रहा कड़ा परिश्रम
फिर भी रहा अभावग्रस्त
उसके श्रमफल पर
करते रहे अय्याशी
पूंजीपति
धर्म के नाम पर
करते रहे शोषण
धर्म के ठेकेदार
समानता के नाम पर
बटोरते रहे वोट
कुटिल सियासतदान
मेहनतकश के हालात
रहे जस के तस
जबकि उसके हक में
लगते रहे नारे
बनते रहे संगठन
होती रही राजनीति
आज तलक

-विनोद सिल्ला©

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