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31 Mar 2020 · 1 min read

चेतावनी

बेरहम इन्सान
प्रकृति से खिलवाड़
बढ़ता प्रदूषण
घटता जल स्तर
कांक्रीट के महल
कटते वृक्ष
घटते जंगल
बिगड़ता पर्यावरण
तबाही ही तबाही
बिलखता इन्सान
बैचैन वसुंधरा

माँ का प्यार
धरती का दुलार
सहती विपदा
बनाती संतुलन
देती चेतावनी
बार बार
अब भी चेतो
हे इन्सान
मत बनो हैवान
आत्मा है सब में
जीव जन्तु हो या
इन्सान
करते क्यों बेजुबां
पर अत्याचार
बन कर कहर ढाता
कोरोनावायरस

व्याकुल है धरा
रूक गयी
दुनियां की धारा
अब भी सुधर जा
ऐ इन्सान
व्याकुल है वसुंधरा

स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल

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