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30 Mar 2020 · 1 min read

रे रूपसी रे, तू प्रीत जननी रे l

रे रूपसी रे, तू प्रीत जननी रे l
रे रूपसी रे, तू पीर हननी रे l

प्यास, कवि भावनायें को उभारने l
रे रूपसी रे, तू भाव छननी रे l

अरविन्द व्यास “प्यास”

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