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25 Mar 2020 · 1 min read

मुक्तक

जैसे हो शब ये चाँद सितारों सजी हुई।
रोशन यूँ तेरे इश्क़ में ये जिन्दगी हुई।
‘रोली’ नहीं अकेली तलबगार-ए-मोहब्बत,
दोनों तरफ़ है आग बराबर लगी हुई।
✍? ‘रोली’ शुक्ला

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