Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
23 Mar 2020 · 1 min read

मैं कुछ नहीं पूछती... मरे हुए लोगों से...

मैं नहीं पूछूंगी क्यूं लटका दिया गया 23 मार्च को भगत और उनके साथियों को,
मैं ये भी नहीं पूछूंगी क्यूं जलते हुए शब्दों के रचियेता “पाश” को भून दिया गया गोलियों से इसी 23 मार्च को
मैं कुछ भी नहीं पूछूंगी…
मैं ये भी नहीं पूछूंगी, किस ने गौरी के गौर वर्ना देह को रात अंधेरे श्यामल किया…
मैं नहीं पूछती दाभोलकर, पनसारे या कुलबरगी को किस ने और क्यूं मारा
तुम खुद ही पूछो खुद से…
और ज़बाब न मिले…तो समझना जिंदा देह में मरी हुई आत्मा के साथ रहते हो
बदबू को ही तुम खुशबू कहते हो…
मैं कुछ नहीं पूछती… मरे हुए लोगों से…
~ सिद्धार्थ

Loading...