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19 Mar 2020 · 1 min read

मीरा ने अपने मन को बँसुरिया बना लिया

आँखों के नीरकुम्भ को दरिया बना लिया
हमने गमों को जीने का जरिया बना लिया

राधा को मिला दर्द ही जब दर्द प्रेम में
उस दर्द को ही उसने सँवरिया बना लिया

देखूँगा सुबहो शाम अकेले में बैठकर
यादों को तेरी हमने गुजरिया बना लिया

ये रूह,जिस्म,जान,जिगर उसको सौंपकर
जीने का इक हसीन नजरिया बना लिया

खंजर से प्रेम के सुराख मन पे जब हुआ
मीरा ने अपने मन को बँसुरिया बना लिया

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