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19 Mar 2020 · 1 min read

महायज्ञ में तत्पर हैं सब

महायज्ञ में तत्पर हैं सब बातें चन्द करेगा कौन
खुली तुम्हारी पोल देखकर भारत बन्द करेगा कौन

सत्तर साल से बन्द रहा सत्ता की जोरा जोरी में
बेबस अबला नारी जैसे श्रम रो रहा तिजोरी में

घोटालों की सरकारों से शायद तुमको गिला नहीं
भगत सिंह के सपनों का भारत क्या तुमको मिला कहीं

नवनिर्माण मुल्क का होगा चीखो न फरियाद करो
अशफाक उल्ला आजाद गुरू बिस्मिल की शहादत याद करो

आँख का आँसू लहू बना था घायल सी तरुणाई थी
सब समान हों इसीलिए आजाद ने गोली खाई थी

काले धन को बचाने की खातिर सब इत उत डोल रहे
दिल में कुछ और कुछ दिमाग में पर मुख से कुछ बोल रहे

हैं शरीफ तो यार शराफत क्यों दिखलाने निकले हैं
हाथों मे लेकर मशाल क्यों आग लगाने निकले हैं

जिस माटी में खेले हैं उसकी खातिर हैं जड़े हुए
उज्जवल भविष्य की आशा में सब पंक्तिबद्ध हैं खड़े हुए

क्यों कैसे कब तक ऐसा कोई भी सवाल नहीं आया
इस मुद्दे पर जनता को कत्तई बवाल नहीं भाया

भ्रष्टाचार की धधक रही ज्वाला को मन्द करेगा कौन
खुली तुम्हारी पोल देखकर भारत बन्द करेगा कौन

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