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19 Mar 2020 · 1 min read

राधा याद आती है

मेरे ख्वाबों में आकर रात भर मुझको जगाती है
कहा कान्हा ने ऊधौ से कि राधा याद आती है

अकेले बैठकर गुमसुम वो मुझको सोचती होगी
कि पलकें बंदकर हरदम मेरा मुख देखती होगी
अचानक मुड़ ही जाती होगी मधुवन की गली में वो
मगर कुछ सोचकर कदमों को अपने रोकती होगी
वो मन ही मन में मुझको खींचती,वापस बुलाती है
कहा कान्हा ने ऊधौ से……

मैं खाली-खाली सा पर आँख उसकी भर गई होगी
वो नंगे पैर ही चलकर के वापस घर गई होगी
मुझे वो जान से प्यारी और मैं जान था उसकी
है जीवित तन से लेकिन बिन मेरे वो मर गई होगी
कहो राधा से जाकर क्यों मुझे इतना सताती है
कहा कान्हा ने ऊधौ से……

यूँ अपनी आँख में खुद से ही गड़ना क्यों पड़ा मुझको
बताओ इस तरह खुद से ही लड़ना क्यों पड़ा मुझको
अगर भगवान हूँ मैं तो बता दो बस मुझे इतना
कि अपनी रूह से ऐसे बिछड़ना क्यों पड़ा मुझको
मैं रोता हूँ तो आकर राधिका क्यों मुस्कुराती है
कहा कान्हा ने ऊधौ से…….

मेरे ख्वाबों में आकर रात भर मुझको जगाती है
कहा कान्हा ने ऊधौ से कि राधा याद आती है

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