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18 Mar 2020 · 1 min read

शर्मो हया उड़ गई

आँख से जब से शर्मो हया उड़ गई
यूँ लगा खुशबू लेकर हवा उड़ गई

रेत पर चल के आई परी वो मगर
दे के कदमों के अपने निशां उड़ गई

खूब जलवे थे उनकी अदाओं के पर
हमसे मिलते ही सारी अदा उड़ गई

पेड़ की पत्तियाँ गिर पड़ीं सूख कर
तोड़कर घोसला जब बया उड़ गई

तन सहित रुक्मणी को मिला वो मगर
श्याम का ले के मन राधिका उड़ गई

माँ ने जब भी उतारी नजर प्यार से
पर हिलाते हुए हर बला उड़ गई

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