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18 Mar 2020 · 1 min read

अब ऐसी दोस्ती

किताबें बदल दी, साल बदल गयी,
लोगों के सोचने की स्टाईल बदल गयी,

पहले दोस्ती हो जाती थी ,
बैर मकौरे खाने में,

अब होटलों की फर माईस चल गयी,
दे दिया करते थे एक फूल ,

गैंदा गुलाब ,चमेली का,
अब दोस्ती करने के लिये,

मोबाईल दिलाने की बात चल गई,
नखरें उठाते रहो लाख उनके,

नहीं उठाये अगर तो,
वो किसी और के साथ ,
हमसे बिन बताऐ निकल गई,

लेखक—Jayvind Singh Ngariya Ji

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