Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
18 Mar 2020 · 1 min read

बस कुछ कदम और हैं

सह लो सह लो के थोड़े सितम और हैं
पास मंजिल है बस कुछ कदम और हैं

जो भी करना है कर लो अभी वक़्त है
ये न सोचो कि आगे जनम और हैं

तोड़कर हौसला ना यूँ मायूस हो
बाकी अब भी खुदा के करम और हैं

मैं भी आराम करता सफर में मगर
कुछ अधूरी सी सर पर कसम और हैं

रुक गए जो..जुदा उनके ग़म हैं मगर
रास्तों के मुसाफिर के गम और हैं

Loading...