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17 Mar 2020 · 1 min read

खडी फसल पर मेह

हुआ कृषक बेबस वहाँ, …सुन्न हो गई देह।
बेमौसम बरसे जहाँ , खड़ी फसल पर मेह।।

करती धरती पुत्र पर, .. ..कुदरत भी आघात ।
पकी फसल पर जब कभी,हो जाती बरसात ।।
रमेश शर्मा.

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