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16 Mar 2020 · 1 min read

ज़माने वालों ने मुझे ठुकराया बहुत

ज़माने ने मुझे ठुकराया बहुत
जले हुए दिल को जलाया बहुत
हम जिसके खातिर जिए मरे
उसी ने मुझे रूलाया बहुत
दर्द दिल में डूबे हुए कैसे जिएं
क़िस्मत ने मुझे आजमाया बहुत
दिल में लगी आग बुझती नहीं
आंसुओ से इसे बुझाया बहुत
या रब तु ही नूरी का पालनहार
मुझ गिरे को तुने उठाया बहुत
नूरफातिमा खातून “नूरी”
१६/३/२०२०

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