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2 Mar 2020 · 1 min read

मुक्तक

माना कि उलझनों भरी है उनकी जिंदगी में,
मैं चाह कर भी उन्हें सुलझा नहीं सकती।।
खुश रखने की कोशिश न करूँ तो क्या करूँ,
उम्मीदों का चिराग ये बुझा नहीं सकती।।

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