Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
2 Mar 2020 · 1 min read

अपना किरदार गढ़ो।।

कर मेहनत कर्तब के पथ,
अब नव उन्नति रोज चढो।
किसी के जैसा बनना छोड़ो,
तुम अपना किरदार गढ़ो।।

सुख दुख जीवन पल डरना क्या?
चल चला पथिक थमे रहना क्या?

रुका सड़े जीवन जन पानी,
बन कर अविरल धार बढ़ो।
किसी के जैसा बनना छोड़ो,
तुम अपना किरदार गढ़ो।।

बातूनी जग बड़ी मिथ्यावादी!
करती रोक टोक निराशावादी!

उठा के छेनी रचो स्वरूप,
अपनी किस्मत स्वयं पढो।
किसी के जैसा बनना छोड़ो,
तुम अपना किरदार गढ़ो।।

©® पांडेय चिदानंद “चिद्रूप”
(सर्वाधिकार सुरक्षित १९/११/२०१९ )

Loading...