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28 Feb 2020 · 1 min read

दंगे की आग

लगें हमारे बोल तो ,मानों चली कटार !
कहें यही जो और तो,कहलाता है प्यार !!

हो नफरत की आंधियाँ ,या दंगे की आग !
जाती पीछे छोड़ कर, सदा बदनुमा दाग !!

रहा पूजता आवरण, ….करता नही विचार।
जिसको आत्मा एक दिन, देगी कहीं उतार।।
रमेश शर्मा

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