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23 Feb 2020 · 1 min read

बाबा

बस वही एक चेहरा है
जाना पहचाना सा
जो मेरी उम्र के साथ
बदलता गया
शदाबी से
झुर्रियों तक
पर मेरे लिए
मुहब्बतों के रंग
कभी मुर्झा न सके
उस चेहरे से
मेरे बाबा
मेरे मुर्शिद भीं हैं
और पीर भी

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