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17 Feb 2020 · 1 min read

चिंगारी बुझा आया हूँ!

भड़की नहीं जो अब तक वो चिंगारी बुझा आया हूँ!
फ़ितरत नहीं हैं सुलगने की फ़िर भी सुलग आया हूँ!

दलदल से भरी हैं ज़िंदगी मेरी ये वो नहीं जानते हैं!
जहाँ दिखती हैं खामोशी वहाँ आशियां बना आया हूँ!

?–Anoop S.

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