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15 Feb 2020 · 1 min read

ग़ज़ल- युग युगों तक जो सुनें जग वो कहानी चाहिए।

युग युगों तक जग सुनें ऐसी कहानी चाहिए।
जो रहे अक्षुण हमेशा वो जवानी चाहिए।।

दोस्त हमको कर्ण जैसा देहदानी चाहिए।
दुश्मनी भी राम-रावण सी निभानी चाहिए।।

मत चखो अमरित भी जिसमे नेह शामिल हो नही।
बेर जिसके राम खायें, वो दीवानी चाहिए।।

हर समस्या का मिले हल, मार्गदर्शन कर सके।
ज्ञान हो गीता सा निर्मल कृष्ण ज्ञानी चाहिए।।

दूत राघव के अगर पहचान ऐसी दीजिये।
नाम अंकित राम की मुदरी निशानी चाहिए।।

कब तलक सहती रहेगी नारी अत्याचार को।
अब अहिल्या की जगह माता भवानी चाहिए।।

घास की रोटी चबाये, मातृभूमि मान हित।
वीर राणा के ही जैसा स्वाभिमानी चाहिए।।

कर दिया विख्यात जिसने विश्व मे निज देश को।
उस विवेकानंद सी जिंदा जवानी चहिये।।

मेल आपस मे रहे घर घर ख़ुशी कायम रहे।
अब अयोध्या सी हमे इक़ राजधानी चाहिए।।

कर सकें हम राष्ट्र सेवा, स्वर्ग सम भारत बने।
ज्यों भगत फंदे पे झूले वो रवानी चाहिए।।

नफ़रतों को त्यागकर इंसानियत की सीख देंं।
बात बच्चों को सदा ऐसी सिखानी चाहिए।।

अरविंद राजपूत ‘कल्प’

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