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10 Feb 2020 · 1 min read

सनम मेरी बाहों में है

ए घड़ी तू रुक जा जरा
अभी तो सनम मेरी बाहों में है

फिर कभी पल ये हंसी
मिले ना मिले
जिंदगी जन्नत सी लगती पनाहों में है
ए घड़ी तू रुक जा…….

अभी तो हम आए जरा मुस्कुराए
दीवाना बनाती है उनकी अदाएं
एक होने की सपना निगाहों में है
ए घड़ी तू रुक जा…….

कहीं गूम ना हो जाए इधर उधर
ढूंढता फिरूंगा मैं कहां किधर
मंजिल मेरी उनकी राहों में है
ए घड़ी तू रुक जा………

रुक कर कभी तू भी ले सुन
होता है क्या यह प्यार की धुन
मोहब्बत मिलती ना सस्ती बाजारों में है
ए घड़ी तू रुक जा……….!!

सुनिल गोस्वामी

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