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5 Feb 2020 · 1 min read

जज़्बात जल उठेंगे

जज्बात जल उठेंगे मुलाकात गर न होगी
वो बात कैसे जाने वो बात गर न होगी.

जागे हैं सारी रात हाँथों में हाँथ लेकर,
आयेगा चैन कैसे वो रात गर न होगी.

तनहाइयों का आलम ऐसे जुदा न होगा
सँग प्यार की तुम्हारे सौगात गर न होगी

अश्कों के जाम पीकर मेरी याद तुम भुला दो
तेरी याद ना धुलेगी बरसात गर न होगी.

खामोशियों ने दी है ये कैसी सदा मुझको
तेरा गम रहेगा दिल में तू साथ गर न होगी.

तू बहुत करीब आजा तुझे थोड़ा प्यार कर लूँ .
कल तू मिलेगी कैसे ये हयात गर न होगी.

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