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29 Jan 2020 · 1 min read

दिल का दीवाना दिलबर आ गया

दिल का दीवाना दिलबर आ गया
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गिनते गिनते दिन वो आ ही गया
बेहतरीन लम्हा जिंदगी आ गया

वो जो देखा ख्वाब, साकार हुआ
स्वप्न नभ से जमीन पर आ गया

चाहा बेइंतहा जिस शख्स क़ो था
हमसफर बन जिन्दगी में आ गया

हताश था मैं जिस तलाश के लिए
आखिरकार वो ठिकाना आ गया

नयन तरसते थे , खुशी के लिए
वो खुशियों भरा जमाना आ गया

कदम जिंदगी के थे बहकने लगे
ठहराव जिन्दगी में अब आ गया

सुखविंद्र जिसकी इन्तजार में था
दिल का दीवाना दिलबर आ गया

सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

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