Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Jan 2020 · 3 min read

*** ‌‌” पागल पथिक………..!!! ” ***

## : मेरे चंचल मन में एक भ्रम था ,
विचारों में चिंतन का अनवरत क्रम था।
क्या है…? ,
” जीवन ” जीने का आधार ;
कैसे होना है…?, उसमें सवार ।
मेरे मन में क्यों है ,
इतनी अभिलाषा …? ;
क्या है, जीवन की परिभाषा….?
पण्डितों से विचार-विमर्श किया ,
ज्ञानियों-विज्ञानियों से तर्क-वितर्क किया।
” कथन ” उनका कुछ मार्मिक था ,
वैचारिक मंथन कुछ तार्किक था।
पर…….!
मन मेरा संतुष्ट न हुआ ;
भ्रमित मन और अति गतिमय हुआ।
भ्रम-संसय प्रबल हुआ ,
चातक मन और अति चंचल हुआ।
भ्रमित विचारों से और उलझता गया ,
प्रमाणिकता की खोज में।
मैंने , कुछ कदम और बढ़ाता गया ;
नवीन चिंतन की शोध में।
यूँ ही , चिंतन में कुछ दिन ब्यतित हुए ,
” जीवन “की अभिलाषा में । मेरा विचलित मन-चित संलिप्त हुए ,
और विचलित-मन विन्यास में ।
मैंने……!
कुछ सत्संग-प्रवचन में सम्मिलित हुआ ,
पर…….!
मेरा चातक मन संतृप्त न हुआ।

## : सावन की झड़ी में ,
कार्तिक की कड़क ठण्ड में ;
गर्मी की तपन में ,
अंतरिक्ष-नील गगन में।
अंतर-आकुल मन ,
व्यर्थ चिंतन की चुभन में ।
दर-दर भटकता गया ,
” जीवन ” की अभिलाषा और बढ़ता गया।
आधुनिकता की आविष्कार …..,
गूगल-सर्च इंजन (Google search engine) की चमत्कार।
कुछ भी..….. ,
दे न सका प्रमाणिकता का आधार ,
और हो गये ये…..
सारे के सारे बेबस-बेकार।
चिंतन में… ,
वर्तमान अतीत की तरह प्रतीत हुआ ;
मेरा मन ” पागल ” की तरह प्रतीत हुआ।
मन में चिंतन क्रम अविराम है,
लेकिन…..,
परिणामी आशा-दीप में , लगा अल्प-विराम है।

## : न कोई मैं , साधु-संत……! ;
और…….
न कोई महापुरुष की तरह ख़ास।
शायद…!
इसीलिए। हर किसी को लगता है ,
मेरा चिंतन बेदम बकवास।
यारों……
मेरे ” विचार ” सवालों के घेरे में है ; लेकिन…!
ये भी सच है कि…..
परिणाम अज्ञानता के अंधेरे में है।
एक दिन…,
मेरे गाँव में महावतों की टोली आई ;
गली-गली में हुआ हाथियों के फेरा।
हर रोज की तरह…… ,
दिन ढलते-ढलते हो गई अंधेरा।
मेरे कुछ मित्र….,
जो थे अंधेपन का शिकार ;
फिर भी उनके मन में था,एक विचार।
हाथियों के आकार कैसा होता है ..? ,
हम भी हो जायें कुछ होशियार।
उन्होंने…..! ,
हाथियों को बारी-बारी स्पर्श किया ,
स्पर्शानुभव….! ,
फिर सबने अपना-अपना तर्क दिया।
किसी ने हाथी को कहा खंभा ,
किसी ने कह दिया ” दीवार ” ।
किसी ने ” रस्सी ” कहा….! ,
और…..
किसी ने कह दिया कि…
ये तो लचीला रबर जैसा है ओ मेरे यार।
लेकिन….!
लोगों ने कहा ओ अंधे गंवार ,
हाथियों के नहीं होते ऐसे कोई आकार।
मत बनो ज्यादा होशियार ,
प्रभु हैं , इनके रचनाकार।
काश….!
प्रभु करे कोई ऐसा चमत्कार ,
और…..
तुम सबके जीवन में आ जाये , सदाबहार।
बरगद के नीचे बैठा….. ,
मैं पथिक-पागल-आवारा ;
समझ नहीं पाया मैं…. ,
प्रकृति (प्रभु) का ईशारा।
मेरे विचारों का ” उत्तर ” वहीं था ,
जो किसी ज्ञानी-विज्ञानियों के… ,
तर्क-वितर्क में नहीं था।
संसय-भ्रम संग्राम में ,
ब्यर्थ-चिंतन को लगा पूर्ण-विराम।
अब…
मेरे मन में बसने लगा ,
वृन्दावन धाम ।
मुझ-अबुझ-अनाड़ी को कुछ-कुछ ,
समझ आने लगा ।
” कह जाता है हर कोई…… ,
जो देखा….,
अनुभव किया और महसूस किया…..!! ”
वही है ” जीवन ” का एक मात्र आधार…! ”
लेकिन दोस्तों …,
” जीवन कैसे जीना है …? ”
कोई नहीं है इसका स-प्रमाणिक आधार।।
” जीवन का अनुभव ”
” जीवन का दर्शन होता है , ”
लेकिन…..!
” जीवन का मूलाधार नहीं। ”
सोंच-विचार… , प्रकृति-व्यावहार… ,
हर किसी का अपना, अलग-अलग होता है ;
लेकिन…. ,
” जीवन का मौलिक आधार नहीं।। ”
पर…..! ,
सच कहूँ यारों…..!!! ;
कहता है ये पागल-पथिक-आवारा ,
जीवन में नहीं है किसी का सहारा।
” जीवन एक जलधारा है ” ,
सुख-दुख है , इसका अटूट किनारा।
मन में रखो प्रबल-शक्ति का पतवार ,
और…….
हर परिस्थितियों में कर जाओ ..
यह (जीवन की) नय्या पार।
न बहाओ तुम कभी आँसुओं की धार ,
और…..
जिंदगी के हरपल को बनाओ खुशनुमा-सदाबहार।
हर कोई मुसाफिर है यारों….!!
इस अज़नबी जहांन में ।
ये न सोंचो…..! ,
जिंदगी इतनी आसान है ;
यहाँ तो हरपल कटता है
इम्तिहान ही इम्तिहान में ।।

*****************∆∆∆****************

* बी पी पटेल *
बिलासपुर (छ.ग.)

Language: Hindi
1 Like · 2 Comments · 820 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from VEDANTA PATEL
View all

You may also like these posts

"टुकड़ा आईने का"
Dr. Kishan tandon kranti
हठ;कितना अंतर।
हठ;कितना अंतर।
Priya princess panwar
बेज़ुबान पहचान ...
बेज़ुबान पहचान ...
sushil sarna
मौसम कुदरत में पतझड़ का सच बताता हैं।
मौसम कुदरत में पतझड़ का सच बताता हैं।
Neeraj Kumar Agarwal
हमारे जैसा दिल कहां से लाओगे
हमारे जैसा दिल कहां से लाओगे
Jyoti Roshni
दुर्दशा
दुर्दशा
RAMESH Kumar
वापस
वापस
Dr.sima
यूं आज जो तुम्हें तारों पे बिठा दी गई है
यूं आज जो तुम्हें तारों पे बिठा दी गई है
Keshav kishor Kumar
ले चल साजन
ले चल साजन
Lekh Raj Chauhan
प्रायश्चित
प्रायश्चित
Shyam Sundar Subramanian
" चले आना "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
लक्ष्य पाने तक
लक्ष्य पाने तक
Sudhir srivastava
सरसी छंद
सरसी छंद
seema sharma
हर समय आप सब खुद में ही ना सिमटें,
हर समय आप सब खुद में ही ना सिमटें,
Ajit Kumar "Karn"
शिकायते बहुत हीं मुझे खुद से ,
शिकायते बहुत हीं मुझे खुद से ,
Manisha Wandhare
सत्य की खोज
सत्य की खोज
लक्ष्मी सिंह
*अयोध्या धाम पावन प्रिय, जगत में श्रेष्ठ न्यारा है (हिंदी गज
*अयोध्या धाम पावन प्रिय, जगत में श्रेष्ठ न्यारा है (हिंदी गज
Ravi Prakash
ये क्या से क्या होती जा रही?
ये क्या से क्या होती जा रही?
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
स्त्री 🥰
स्त्री 🥰
Swara Kumari arya
ईश्वर का प्रेम उपहार , वह है परिवार
ईश्वर का प्रेम उपहार , वह है परिवार
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
प्रेरणादायक बाल कविता: माँ मुझको किताब मंगा दो।
प्रेरणादायक बाल कविता: माँ मुझको किताब मंगा दो।
Rajesh Kumar Arjun
दुनिया
दुनिया
ओनिका सेतिया 'अनु '
इन रावणों को कौन मारेगा?
इन रावणों को कौन मारेगा?
कवि रमेशराज
धुआँ सी ज़िंदगी
धुआँ सी ज़िंदगी
Dr. Rajeev Jain
द्वंद्वात्मक आत्मा
द्वंद्वात्मक आत्मा
पूर्वार्थ
सरल भाषा में ग़ज़लें लिखना सीखे- राना लिधौरी
सरल भाषा में ग़ज़लें लिखना सीखे- राना लिधौरी
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
पहली किताब या पहली मुहब्बत
पहली किताब या पहली मुहब्बत
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी "
"स्वच्छता अभियान" नारकीय माहौल में जीने के आदी लोगों के विशे
*प्रणय प्रभात*
गीत तनहा ही गा लिये हमने
गीत तनहा ही गा लिये हमने
पंकज परिंदा
??????...
??????...
शेखर सिंह
Loading...