Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
25 Jan 2020 · 1 min read

माचिस तीली

माचिस जैसी ज़िन्दगी, तीली-सी हर चाह।
कोई उजियारा करे, कोई करे तबाह।१।

विरह व्यथा हर वेदना ,करता अंतरदाह।
तीली-सा तन मन जले,मुख से निकले आह।२।

माचिस जैसी ज़िन्दगी, लगा हुआ है दाँव।
सोच-समझ कर हर समय, रखना अपना पाँव।३।

क्रोध जलाये हर तरह, कहता हूँ दो टूक।
अगर किसी का घर जले, मत रहना तुम मूक।।।४।

लोग बुरे होते नहीं, बुरे हुए हालात।
वरना घर जलता नहीं,थी तीली-सी बात।५।

माचिस तीली से भला, जल पाता है कौन।
राख बनाता इश्क़ भी, कर देता है मौन।६।

माचिस की हर तीलियाँ, हैं डिबिया के लाल।
जिससे चुल्हा भी जले,पकते रोटी दाल।७।

शब्दों की हर तीलियाँ, सोच समझ कर फेक।
जो दिल को रौशन करे, नहीं लगाये टेक।८।

सना हुआ बारूद से,रहे ऊपरी भाग।
तीली खुद को राख कर, देती सबको आग।९।

तीली-सी छोटी मगर,बड़ी भयानक डाह।
तिल-तिल कर जलता मनुज, खुद को करें तबाह।१०।

माचिस की हर तीलियाँ, दिखती एक समान।
कुछ दीपक रौशन करे, कुछ लेती है जान।११।

ये सूरज चंदा नहीं, जुगनू नहीं सितार।
माचिस की ये तीलियाँ, भरे हुए अंगार।।१२।

छोटी है ये तीलियाँ, करना नहीं गुमान।
घिसना बेमतलब नहीं, कर देगा नुकसान।। १३

-लक्ष्मी सिंह
-नई दिल्ली

Loading...