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23 Jan 2020 · 1 min read

ये दिल अज़ब- गज़ब

इस अजब मुस्कुराहट पे तो ये दिल वारा है
कौन जाने अब फिर भी ये दिल कुं -वारा है
नाज़ – नख़रे भी तुम्हारे कितने अजब हैं
शायद ये दिल अज़ब- गज़ब तुम पे वारा है ।।

?मधुप बैरागी

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