Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
20 Jan 2020 · 1 min read

।। अंतर्मन ।।

मंजिल दूर नही है मेरी, बस कुछ कदमो की उधारी है
मेरे सपनों में मेरे अपनो की, बस इतनी हिस्सेदारी है

क्या बोलूं क्या न बोलूं मैं, इन सब मे मन डोल रहा
बिन बोले कैसे रह जाऊं, अपनी भी जिम्मेदारी है

दुनिया का दस्तूर जो देखा तो जैसे सब भूल गया
भूले बिसरे जो कह जाऊं सच की वही कहानी है

सबकी कपट भवना देखी तो जैसे मन ऊब गया
जिसके झूठ को पकड़ा जाए, मानो सांप ने सूंघ लिया

इन सब झूठे बाशिंदों में सच कैसे घोला जाए
इन सब झूठ के बाशिंदों में सच कैसे घोला जाए

झूठी बातों को सच करना, इनकी अदा पुरानी है

यह सब देख वेदना मेरी, ये आंखे रो जानी है
मंजिल दूर नही है मेरी, कुछ कदमो की उधारी है

।। आकाशवाणी ।।

Loading...