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19 Jan 2020 · 1 min read

आइन

आईन के मुहाफ़िज़ सड़को पे लड़ रहें हैं
तालिब मुहब्बतों के तख्ती लिए खड़े हैं
हर एक का वतन ये हर एक का चमन है
हिन्दोस्तां के बुलबुल मशाले लिए खड़े हैं
है अंजुमन अंधेरी, मौसम ज़रा बुरा है
हैं हुक्मरां ज़ालिम ,ज़ुल्मों का सिलसिला है
फिर भी डटें हुए से हिंदी यहां खड़े हैं
पग, टोपी, क्रोस,टीके यहां सब चमक रहे है
किसको अलग करोगे किसको जुदा करोगे
सब एक साथ मिल के हक़ के लिए खड़े
हैंअसल रंग अब के निखरा जब सारे साथ आए
हरएक अब तो बाहें फैलाए से खड़े हैं
ये मज़हबों से ऊपर आइन के लिए हैं
आवाज़ जो बुलन्द है आवाम के लिए है
आइन के मुहाफ़िज़ तुम को सलाम मेरा
आइन से ही है ये हिन्दोस्तान मेरा

4 Likes · 1 Comment · 367 Views
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