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16 Jan 2020 · 1 min read

मैंने जितने छंद लिखे हैं

मैंने जितने छंद लिखे हैं
प्रियवर तेरे नाम करूँ |
कोरे कागज पर लिख कर के
दिलबर तुझे सलाम करूँ |
कभी भवानी,कभी राधिका
और कभी सीता बन कर-
हर युग में मिलते आये हम
दिल से ये पैगाम करूँ |
-वसंत जमशेदपुरी

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