Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
15 Jan 2020 · 1 min read

हृदय अभिराम करो

1-चाहें मोती सब यहाँ,बैठे सागर तीर।
चाँद मिला न चकोर को,मिली प्रेम की पीर।।

2-सेवा कर मेवा मिले,चोरी करके श्राप।
नीच कर्म मत कीजिए,जीवन हो अभिशाप।।

3-प्रीतम हाथी दाँत सम,लोग हुए हैं आज।
चिकने ऊपर से दिखें,काले दिल के राज।।

4-धोखा देकर मन हरें,पल में बदलें रूप।
वो मानव तो हैं नहीं,जो गिरगिट अनुरूप।।

5-काल रहा कब मौन है,मन बैठा क्यों सून।
गूँथे बिन रोटी नहीं,बैठ लिए तू चून।।

6-प्रीतम करता क्यों घृणा,मन में लेकर भेद।
अनपढ़-सा मज़मून है,मानवता विच्छेद।।

7-लड़ते-लड़ते सब मरें,कैसे हो भव पार।
मिलके धरती स्वर्ग हो,समझो सब नर-नार।।

8-हरियाली को देख कर,मन खुशहाली देख।
सीख सदा देते सुनो,संस्कारी सब लेख।।

9-मन सुंदर जन मन हरे,जीवन कर अभिराम।
देकर ख़ुशियाँ ख़ुश रहो,करके नित शुभ काम।।

10-प्रीतम छाया पेड़ दें,मेवा तज आधार।
मनुज लोभवश क्यों हुआ,मन में लेकर ख़ार।।

–आर.एस.प्रीतम
———————-सर्वाधिकार सुरक्षित (c)

Loading...