Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
13 Jan 2020 · 1 min read

" सीखा आई "

?????????????????

जिंदगी की इस सफर में हजारों लोग मिले ,
प्यार , दोस्ती के नाम पर छल – कपट का मुखौटा लिए ।

वो लगे रहे कोशिश में कि वह मुझे नीचा गिरा कर ,
मेरे स्वाभिमान को हिला सके ।
वो नादान इतना भी नहीं समझे ,
उनकी इस कोशिश की वज़ह से जिंदगी को जीना सीखा आई ।

वो मुझे और मेरे हृदय को तोड़ने जले ,
मैं भी सयानी निकली ,
प्यार का अर्थ सीखा आई ।

मुझे वो नफरत और मतलब का भेद सीखाने चले ,
मैं भी अपने स्वभाव की मारी ,
उन्हे प्रेम और और निस्वार्थ रिश्ते का अर्थ सीखा आई ।

? धन्यवाद ?

⛄☃️⛄☃️⛄☃️⛄☃️☃️⛄⛄⛄⛄⛄⛄⛄⛄

✍️ ज्योति ✍️
नई दिल्ली

Loading...