Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Dec 2019 · 1 min read

भारतमाता ग्राम्यवन्यविहारिणी

सर्वत्र आलोकित स्फीत ज्वाल,
अति दूर क्षितिज पर विटप माल,
खग-विहग सस्मित , कलरव विशाल,
नहीं काल का कोई चिह्न कराल !
शाश्वत सरस प्राणी सब निर्भय,
संसृति चीर यौवन विस्तारिणी ,
वंदन ! भारतमाता ग्राम्यवन्यविहारिणी ।
हिमगिरि की गंगा गहन तम में ,
आहतक्रन्दित विद्ध असीम,
जड़ता हिंसा से घिरी वसुधा ,
संस्कृति विक्षत विघटित आसीन !
नभ से अश्रु गिरते अभी तक ,
युग-युग से घटित विविध विषाद ,
विद्वेष,घृणा मिथ्या जड़ बन्धन ,
अंतस उर में नहीं स्पृहाह्लाद !
हो जाए अन्त: आत्मा का निनाद ,
खण्डित , संकुचित विविध प्रमाद !
आधार अमर-सुविचारोक्ति की,
दु:ख-दारिद्रय-कष्ट निवारिणी ,
वंदन ! भारतमाता ग्राम्यवन्यविहारिणी ।
उद्वत-अदम्य,अप्रतिहत, दुर्निवार ,
विस्तीर्ण सिन्धु बीच शून्य में पुकार,
भू-नभ का संगीत, समुद्भूत निस्सीम,
वह्नि की शिखा से मुक्त ,अनवरूद्ध आर-पार !
शिला सा वक्ष , चट्टान सी भुजाएं ,
सूर्य सा दीपित प्रकटित समुन्नत भाल ;
प्राण का सागर , अगम,उत्ताल , उच्छल ,
डोलते पर्वत , व्याल , कांपते दिक्काल !
कांपते हैं विषधर , कांपते हैं हिंस्र भाव ,
कांपते हैं कामनावह्नि, कांपते हैं दुःख-दाह !
बाहों में मारूत , गरूड़, गजराज बल,
ज्ञेय , पुण्य-विपुल-सन्निधि विस्तारिणी ,
वंदन ! भारतमाता ग्राम्यवन्यविहारिणी ।

✍? आलोक पाण्डेय

Language: Hindi
3 Comments · 535 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

मातृशक्ति
मातृशक्ति
Sanjay ' शून्य'
गाँव का दृश्य (गीत)
गाँव का दृश्य (गीत)
प्रीतम श्रावस्तवी
पुरुषार्थ
पुरुषार्थ
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
माँ मैथिली आओर विश्वक प्राण मैथिली --- रामइकबाल सिंह 'राकेश'
माँ मैथिली आओर विश्वक प्राण मैथिली --- रामइकबाल सिंह 'राकेश'
श्रीहर्ष आचार्य
नव वर्ष क्यू मनाते हो
नव वर्ष क्यू मनाते हो
Satyaveer vaishnav
आग लगाना सीखिए ,
आग लगाना सीखिए ,
manisha
रमेशराज की विरोधरस की मुक्तछंद कविताएँ—1.
रमेशराज की विरोधरस की मुक्तछंद कविताएँ—1.
कवि रमेशराज
कैसे कहूँ दिल की बातें
कैसे कहूँ दिल की बातें
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
माता रानी का भजन अरविंद भारद्वाज
माता रानी का भजन अरविंद भारद्वाज
अरविंद भारद्वाज
तुम्हारे दीदार की तमन्ना
तुम्हारे दीदार की तमन्ना
Anis Shah
"युद्ध के परिणाम "
Shakuntla Agarwal
बेहतरीन कलमकारो से मिल
बेहतरीन कलमकारो से मिल
पं अंजू पांडेय अश्रु
दोहा पंचक. . . . .  अर्थ
दोहा पंचक. . . . . अर्थ
sushil sarna
खुद से है दूरी  मीलो की...
खुद से है दूरी मीलो की...
Priya Maithil
*दिल कहता है*
*दिल कहता है*
Kavita Chouhan
और कितना तू रोएगी जिंदगी ..
और कितना तू रोएगी जिंदगी ..
ओनिका सेतिया 'अनु '
'चो' शब्द भी गजब का है, जिसके साथ जुड़ जाता,
'चो' शब्द भी गजब का है, जिसके साथ जुड़ जाता,
SPK Sachin Lodhi
"स्थानांतरण"
Khajan Singh Nain
मुझे बेज़ार करने के उसे भी ख़्वाब रहते हैं
मुझे बेज़ार करने के उसे भी ख़्वाब रहते हैं
अंसार एटवी
नारी तेरे रूप अनेक
नारी तेरे रूप अनेक
विजय कुमार अग्रवाल
You have to keep pushing yourself and nobody gonna do it for
You have to keep pushing yourself and nobody gonna do it for
पूर्वार्थ
* मुक्तक *
* मुक्तक *
surenderpal vaidya
हाय री गरीबी कैसी मेरा घर  टूटा है
हाय री गरीबी कैसी मेरा घर टूटा है
कृष्णकांत गुर्जर
बैसाखी पर्व पर प्रीतम के दोहे
बैसाखी पर्व पर प्रीतम के दोहे
आर.एस. 'प्रीतम'
ले हौसले बुलंद कर्म को पूरा कर,
ले हौसले बुलंद कर्म को पूरा कर,
Anamika Tiwari 'annpurna '
■हरियाणा■
■हरियाणा■
*प्रणय प्रभात*
पहली बार तो नहीं है
पहली बार तो नहीं है
Surinder blackpen
" गिरगिट "
jyoti jwala
चितौड़ में दरबार डोकरी
चितौड़ में दरबार डोकरी
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
आओ वृक्ष लगाओ जी..
आओ वृक्ष लगाओ जी..
Seema Garg
Loading...