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19 Dec 2019 · 5 min read

प्लीज! मोदी जी, झूठ बोलना बंद कीजिए ना!! संदर्भ : भारतीय नागरिकता संशोधन कानून

आप और आपके भ्रातासम अमित शाह जी इस कानून को लेकर देश में ऐसा भ्रम फैलाने में जुटे हैं कि जैसे इस कानून को लाकर आपने देश के लिए कोई महान और नया काम किया है लेकिन देश का विपक्ष आपका विरोध कर देश से गद्दारी कर रहा है. मैं 1987 से राजनीतिक गतिविधियों से सक्रियता और सूक्ष्मता से रूबरू होते आ रहा हूं लेकिन टॉप लेवल के किसी भी नेता को ऐसा नौटंकीबाजी करते, झूठ बोलते, स्तरहीन भाषा का उपयोग करते नहीं देखा. आप में एक अच्छी कला और साहस है कि झूठ को भी आप अपनी जोरदार आवाज और नाटकीय अंदाज में रखते हैं कि भोलीभाली जनता आपकी बात को अक्षरश: सत्य मान लेती है. वैसे भी मेन स्ट्रीम मीडिया आपके गुणगान में लगा ही हुआ है. देश की वह जनता तो कानून-कायदे को नहीं जानती, वह यह सोच रही है जैसे आपने नागरिकता कानून नाम की कोई बहुत बड़ी चीज लेकर आए हैं जिससे उनकी तमाम समस्याएं हल हो जाएंगी. आप जिस अंदाज में बात रखते हैं उससे पढ़ा-लिखा आदमी भी गुमराह हो जाता है कि भाई ठीक तो है कि दुनिया के किसी देश के दुखियारे हिंदुओं को अगर भारत की नागरिकता दे दें, फिर ये विपक्ष के लोग विरोध क्योें कर रहे हैं. विपक्ष किस आधार पर विरोध कर रहा है, यह मीडिया भी ठीक से नहीं बताता. आपके कानून संशोधन में चूंकि आपने बिल में पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश का उल्लेख और मुसलमान शब्द गायब क्या कर दिया, देश के तमाम मुस्लिम द्वेषी भी खुश हो गए.
मोदी जी हालांकि मैं जो बताने जा रहा हूं वह आप भी जानते हैं लेकिन में आपके भक्तों को बता दूं कि देश के पुराने नागरिकता कानून के माध्यम से भी किसी दुखियारे हिंदू या गैर-हिंदू को भी देश की नागरिकता दी जा सकती थी. आपको मालूम होना चाहिए कि जाने-माने गायक अदनान सामी अपने व्यावसायिक कार्य से 1999 में भारत आए और हर बार 5 साल के वीजा के साथ आते रहे. परवेज मुशर्रफ उनके पारिवारिक मित्र हैं. उनके कारण उनकी वहां की राजनीति में मजबूत पकड़ भी थी. सामी के पिता पाकिस्तान एयर फोर्स में थे और सन 65 व 71 में उन्होंने भारत पर बम बरसाए थे. अदनान सामी वर्क परमिट पर भारत आते रहे. उन्होंने दो बार भारत की नागरिकता के लिए अर्जी दी लेकिन पिछली कांग्रेस के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार ने उसे रिजेक्ट कर दिया. लेकिन मोदी जी और आपके भक्तों को मैं बताना चाहूंगा कि पहली अर्जी खारिज होने के बाद जब मार्च 2015 में (मोदी जी सत्ता में आ चुके थे ) अदनान ने दोबारा भारतीय नागरिकता के लिए अपील दायर की. अगस्त 2015 में उनके वर्क वीजा के खत्म होने के बाद भी आपने उन्हें अनिश्चितकाल तक के लिए यहां रहने की इजाजत दे दी थी. उसके बाद अक्तूबर 2015 में आपकी ही सरकार ने उनकी बीवी और बेटी को भारतीय नागरिकता दे दी. पाकिस्तान में जिसकी पुश्तें हैं, जो भारत के दुश्मन मुशर्रफ का करीबी है, जिसे किसी तरह की प्रताड़ना नहीं थी…और हां, मुसलमान भी है, को चटपट आपकी सरकार ने नागरिकता दे दी. मेरे भाई यह साफ है कि भारत में पहले से ही विदेश से आए लोगों को नागरिकता देने का कानूनी प्रावधान था, ऐसे में पुराने कानून में संशोधन कर केवल मुसलमानों को बाहर रखने से आम लोगों के मन में शक तो उठता ही है मोदी जी और भक्तगण. यही नहीं यदि इसे राष्ट्रीय नागरिकता पंजी अर्थात एनआरसी के नतीजों के साथ रख कर देखें तो शको-शुबहा की गुंजाइश भी बढ़ जाती है मोदी जी.
इस कानून को लेकर आप कह कुछ रहे हैं, इसको लाने के इरादे कुछ और हैं और इसके परिणाम और कुछ होंगे. मोदी जी! आप तो खैर जानते हैं लेकिन मैं जरा आपके भक्तों को बता दूं कि सन 2019 से दिसंबर 2019 तक कुल 431 अफगान और 2307 पाकिस्तानी शरणार्थियों को आपने भारत की नागरिकता दी है. बीते पांच सालों में अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के 560 मुसलमानों को भारत का नागरिक बना लिया गया. मोदी जी और भक्तों, मैं भी इस बात को मानता हूं कि पाकिस्तान के ग्रामीण क्षेत्रों में हिंदुओं की हालत खराब है जिससे कुछ हजार लोग वहां से प्रताड़ित होकर आए और उन्हें भारत की नागरिकता देनी चाहिए लेकिन मेरे भाई इसके लिए हमारे पास पहले से कानून थे. बीते साढ़े पांच साल में सरकार ने ऐसे हजारों आवेदनों पर विचार क्यों नहीं किया?
मोदी जी को तो यह मालूम ही है लेकिन मैं उनके भक्तों का बता दूं कि साढ़े छह सौ करोड़ खर्च के साथ कई साल, हजारों कर्मचारियों की मेहनत के बाद असम में तैयार एनआरसी में महज साढ़े उन्नीस लाख लोग ही संदिग्ध विदेशी पाए गए. उन्हें भी अभी प्राधिकरण में अपील का अवसर है. चूंकि उन साढ़े उन्नीस लाख में से कोई ग्यारह लाख गैर मुस्लिम हैं, तो ऐसे लोगों को भारत में शामिल करने के लिए नागरिकता संशोधन बिल लाया गया, चूंकि असम में सन 1979 से 1984 तक के छात्र आंदोलन का मूल प्रत्येक घुसपैठिये को बाहर करना था अत: वहां के लोग सांप्रदायिक आधार पर अवैध प्रवासियों को भारत का नागरिक बनाए जाने के समर्थन में नहीं हैं.
नागरिकता खोने का अर्थ होता है बैंक सुविधा, जमीन-जायदाद के अधिकार, सरकारी नौकरी, सरकारी योजनाओं का लाभ, मतदान का हक आदि से वंचित रहना. सरकारी आंकड़े बताते हैं कि गत छह सालों में मोदी सरकार 4000 विदेशी घुसपैठियों को भी देश से निकाल नहीं पाई. वहीं कई हजार करोड़ खर्च कर डिटेंशन सेंटर बनाए जा रहे हैं. वहां ऐसे लोगों को रखा जाएगा जिनका कोई देश नहीं होगा. अभी भी हजारों लोग ऐसे सेंटर में नारकीय जीवन जी रहे हैं. एनआरसी में स्थान न पाए लाखों लोगों को ऐसे डिटेंशन सेंटर में रखने का खर्च, उनकी सुरक्षा और प्रबंधन का भारी-भरकम भार भी हम ही उठाएंगे. इस तरह यह बात साफ है मेरे भाई कि यह सिर्फ सांप्रदायिक मसला ही नहीं है, बल्कि यह हमारे संविधान की मूल आत्मा के विपरीत भेदभाव का मसला है.
अंत में मैं फिर कहना चाहूंगा कि प्लीज..प्लीज मोदी जी! झूठ मत बोलिए. सिर्फ घड़ियाली आंसू मत बनाइए क्योंकि हम जैसे लोगों के साथ-साथ आपके भक्तगणों ने भी आपकी नौटंकी और झूठ को समझना शुरू कर दिया है.
-19 दिसंबर 2019 गुरुवार

Language: Hindi
Tag: लेख
7 Likes · 2 Comments · 395 Views
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