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7 Dec 2019 · 1 min read

तीन मुक्तक दहेज के

दामन में अपने पाप को सहेज न लेना
सुखों के बदले जलालत की सेज न लेना
उनको भी हक शादी का है जो गरीब हैं
सोचके इस बात को दहेज न लेना

वो देख तेरे प्यार के सपनों को आएगी
साथ लेके सात वो वचनों को आएगी
समझे बिना जाने बिना स्वीकारेगी तुम्हें
अपना बनाने छोड़के अपनों को आएगी

मां का दिल और पिता की जान है वो भी
नाजों से जो पली है वो संतान है वो भी
है नयी तो गलतियां बेशक करेगी वो
भूल जाना ये सोच कर के कि इंसान है वो भी

विक्रम कुमार
मनोरा , वैशाली

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