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1 Dec 2019 · 1 min read

पालीथिन

पालीथिन
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देखो धुँआ कैसे उड़ रहा,
कहीं प्लास्टिक तो नी जल रहा।
वायु मण्डल प्रदूषित हो रहा,
मानव ही बीमारी से ग्रसित हो रहा।
बाजार में देखो पलास्टिक,
दुकान में देखो पलास्टिक।
हर जगह बिखरा पलास्टिक,
असली दुश्मन हैं पलास्टिक।
प्रदूषण प्रतिदिन विकराल होता रहा,
कैंसर जैसे रोग और बढ़ता रहा।
मनुष्य हो या पशु सब शिकार हो रहा,
धीरे धीरे पर्यावरण भी बिगड़ रहा।
नहीं है भविष्य पलास्टिक में,
मानव अब तो सुधर जाओ।
पालीथिन को बंद कर दो,
हरा भरा जग को सुंदर बनाओ।
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रचनाकार डीजेन्द्र क़ुर्रे “कोहिनूर”
पीपरभवना,बिलाईगढ़,बलौदाबाजार(छ.ग.)
मो. 8120587822

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