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29 Nov 2019 · 1 min read

कितनी बदसूरत हो

है कजरे की धार, गले मोतियो का हार।
कितना भी किया श्रृंगार ।
पर सब हो गया बेकार,
कि तुम कितनी बदसूरत हो।
कि तुम कितनी बदसूरत हो।
#व्यंग्यधार
#विन्ध्यप्रकाशमिश्र विप्र

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