Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
18 Nov 2019 · 1 min read

जिम्मेदारियां

नातों का प्रेम भाव यार की यारियां
सब पे भारी पडी़ं चंद जिम्मेदारियां
ऐसा आया तूफां की उजड़ गए सभी
देखे रस्ता बहारों की फुलवारियां
लाख की कोशिशें छोडी़ं न कोई कसर
फिर भी हटती नहीं है ये लाचारियां
सारी खुशियां लुटा दीं अपनो पे मैंने
गमों से भर ली थी खुद की अलमारियां
खुशियां सारी मेरी ले वे खुश न हुए
कर रहें है मिटाने की तैयारियां
निकली उनके चिरागें नजर से जो थी
जिंदगी को जला गई ं वो चिंगारियां
उठ गया है भरोसा अपनों से मेरा
इतनी देखी है अपनों की गद्दारियां
लुट गया जब था सब तब नजर थी खुली
और उतरी थी सर से वो खुमारियां
जब जमाने ने ठुकरा दिया था मुझे
तब थी आगे न आईं ये रिश्तेदारियां
मेरा चैन मेरी खुशियां और मेरी हंसी
की कातिल बनी ये दुनियादारियां

विक्रम कुमार
मनोरा, वैशाली

Loading...