Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
1 Nov 2019 · 1 min read

नज़्म - इश्क की राह

अपनी गलती को ढकने की कोशिश की
नज़रो से सब की छिपने की कोशिश की।।

चाँद भी जब यूँ चाँदनी में खो गया
मैंने तब तारे गिनने की कोशिश की।।

वक्त के सिरहाने से सब कुछ खो गया
हमने ज़िन्दगी को तपने की कोशिश की।।

ख़्वाबो में हमको देखकर वो ऐसे इतराए
वो हमको नज़रो से ठगने के कोशिश की।।

धड़कन जो धड़कती रही दिल में धक धक
सिर्फ़ चाहतो को लिखने की कोशिश की।।

इक हवा का झोख़ा आया मेरे सफ़ीने में
हमने भी हवा से लड़ने की कोशिश की।।

लख्ते ज़िगर मेरा,मेरा शरमाया भी वो
वो दिल में बसकर डसने की कोशिश की।।

सारी उम्र गुज़ारी आकिब” वजूद ढूढ़ता रहा
सच इश्क की राह में चलने की कोशिश की।।

:-आकिब जावेद

Loading...