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20 Oct 2019 · 1 min read

ईश की माया अजब

ईश की माया है अजब
बड़ी लीला अपरंपार है

परिवेश बहुत खुशनुमा
कहीं हालात गमसीन है

लगी है सावन की झडी़
तो कहीं सूखा अपार है

मौसम है बेमौसम सा
धूप हैं तो कहीं छाँव हैं

जीवन के रंग हैं गजब
प्रत्येक रंग बेमिसाल है

खुशियों की है बहार सी
कहीं गम गले का हार हैं

कहीं देता है वो इंतिहा
होता कहीं मोहताज है

रहने को छत ही नहीं
कहीं छत बेहिसाब है

जिंदगी है सुकून भरी
भूख है कहीं प्यास है

कहीं बंसत बहार है
कहीं शिशिर झाड़़ है

सुखों को है बिखेरता
कहीं दुख बेहिसाब है

वियोग में रंगहीन सा
संयोग में रंग भरता है

कीर्तन हैं कहीं रामधुन
कहीं नमाज अरदास है

कहीं जिंदगी है रसभरी
कहीं जिन्दगी हताश है

ईश की माया है अजब
बड़ी लीला अपरंपार है

सुखविंद्र सिंह मनसीरत

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