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9 Oct 2019 · 1 min read

अतिवृष्टि और दीपावली

अतिवृष्टि और बाढ़ से सब तबाह हो गए।
आंखों में से बहे आंसुओं मैं सभी सपने बह गए।।
हजारों परिवार सड़क पर आ गए।
किसान -मजदूर हंसी-खुशी जीवन जी रहे थे।।
फसल पक चुकी थी।
इनकी आमदनी से किसी के बेटे की फीस भरनी थी।
किसी बच्चों की शादी करनी थी।
आंखों में कई सपने थे।।
इस बारिश ने दिवाली के दीये,
जलने से पहले ही बुझा दिये।
त्यौहार का उल्लास बाढ़ में बह गया।
चेहरे का नूर भी छिन गया।
कमरतोड़ महंगाई में कैसे दिवाली मनाए।
,”””””””””””””””अंशु कवि”””””””””””””””””””””””

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