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29 Sep 2019 · 1 min read

मै आशा के दीप जलाना चाहता हूँ ---आर के रस्तोगी

आशा के दीप जलाना चाहता हूँ
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मै आशा के दीप जलाना चाहता हूँ |
निराशा के दीप बुझाना चाहता हूँ ||
जिस झोपडी में कभी न दीप जला |
उस झोपडी में दीप जलाना चाहता हूँ ||

मै ज्ञान का दीप जलाना चाहता हूँ |
अज्ञान का दीप बुझाना चाहता हूँ ||
जो ज्ञानी बनकर अज्ञानी बने हुए है |
उन सबको मै जगाना चाहता हूँ ||

मै शिक्षा का दीप जलाना चाहता हूँ |
अशिक्षा का बुझा दीप हटाना चाहता हूँ ||
अपनी भारत माता के मस्तक से |
मै अशिक्षा का नाम मिटाना चाहता हूँ ||

सबका विकास हो सबका साथ मिले |
सबको यहाँ समान अधिकार मिले ||
इस दीपावली पर भारत की भू पर |
अनगिनित हर तरफ ही दीप जले ||

आर के रस्तोगी
गुरुग्राम (हरियाणा)
मो 9971006425

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