Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
26 Sep 2019 · 1 min read

1035 अनकहा प्यार

1035 अनकहा प्यार (Ankaha Pyaar)
मैंने छुपाना चाहा हर बार।
फिर भी छुपा ना पाया मैं प्यार।
रोका मैंने अपना इज़हार।
करता रहा तेरा इंतजार।

बेताबियां बड़ीं, फिर भी रोका।
इस दिल को मैंने बार-बार टोका।
देता रहा यह मुझको धोखा।
रखा, मेरे प्यार को बेज़ार।

क्या करूँ मैं अब इसका।
हल नहीं हैअब जिसका।
धड़कना रुका नहीं दिल का।
रोका चाहे मैंने कितनी बार।

समझ जाता, जो तू दिल का हाल।
मेरी जिंदगी भी होती कमाल।
नहीं होता मैं यूँ बदहाल।
होता बस, प्यार, प्यार, प्यार।

Loading...