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23 Sep 2019 · 1 min read

मुक्तक

ये समझदारों की दुनिया है नए विश्वास की,
बात से रोटी खिलाती भूखों को ये आस की,
याद रखिये ढल गये न यूँहीं कविता में विचार
हैं जले वर्षों तलक ये आँच पर एहसास की…

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