है ग़ज़लों की मलिका-औ- गीतों की रानी-- इश्क-ए-माही
ग़ज़ल– 05
है ग़ज़लों की मलिका-औ- गीतों की रानी
है उसकी अदा में अज़ब इक कहानी
न जाने कहाँ से है उतरी धरा पर
लगे नूर उसका हो जैसे रुहानी
फ़िज़ाओं ने जाने गढ़ा कैसे उसको
पड़े भारी सब पर ये उसकी जवानी
खिलादे वो उजड़ा चमन आके पल में
है यारी ख़ुदा से बहुत ही पुरानी
झलक उसकी ‘माही’ जो पा ले घड़ी भर
चढ़े रंग उसका बने वो नुरानी
©® डॉ प्रतिभा माही