Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
22 Sep 2019 · 1 min read

मिटती न खार हैं

बार बार मार खाये, फिर भी न शरमाये,
पाक बेशरम बना, बड़ा लतमार है ।
लड़ता है बेवकूफ, ईर्ष्या में जल रहा,
टुकड़ों मे पल रहा, बहे मुँह लार है ।।
समझ न आता उसे, चीन भरमाता उसे,
मूर्खता मे मर रहा, हुआ जार जार है ।।
पीठ पीछे वार करे, वो विनाश सर धरे,
हर बार हार खाता, मिटती न खार हैं।।

कौशल

Loading...