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21 Sep 2019 · 1 min read

अंजुमन में जो वो आए

आए है वो अंजुमन में चार चाँद लग गए
चिराग जो बुझे हुए थे वो भी हैं जल गए

उनके जिंदादिली की क्या मिशाल दें
चेहरे जो मायूस थे वो आते खिल गए

रौनक बहारा बन आए वो महफिल थे
मजलिस में जो आए चिराग जल गए

तारीफ क्या करें खिले हुस्न शवाब की
नैनों के कातिल वार से शिकार कर गए

खुदा कसम सनम बहुत लाजवाब थे
अदाओं से जिन्दा दिल हलाल कर गए

मोहब्बत बहारों की चली क्या बयार थी
देखते ही उन्हें आँखों में ख्वाब सज गए

चिलमन में ढका हुआ है चेहरा जनाब में
चिलमन जो हट जाए दिल अग्न लग गए

आए वो जो अंजुमन में चार चाँद लग गए
चिराग जो बुझे हुए थे वो भी हैं जल गए

सुखविंद्र सिंह मनसीरत

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