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18 Sep 2019 · 1 min read

मुक्तक

माँ की दुआओं से ही निखरा हुनर हमारा,
आबरू से ज़्यादा कुछ भी ना हमको प्यारा,
दर पे ख़ुदा के हमने रखा है बस जबीं को
झुकता नहीं सभी के कदमों में सिर हमारा…

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